तुमने रात भर तन्हाई में सरगोशियाँ की थीं
तेरी नर्म-गुफ्तारी ने रूह को खुशियाँ दी थीं
बातों ने संगीतमय संसार बक्शा था रातों को
यादों ने नया उनवान दिया था मेरे ख्वाबों को
तुमने 'निर्जन' इस दिल का सारा दर्द बांटा था
तेरी रूमानियत ने रात को फिर चाँद थामा था
मेरे आशारों में इश्क़ इल्हाम की सूरत रहता है
मानी बन के तू लफ़्ज़ों को मेरे एहसास देता है
तेरे होने से ज़िन्दगी हर लम्हा गुल्ज़ार रहती है
तेरी पायल की आहट कानो में संगीत कहती है
गुफ्तारी : वाक्पटुता, वाग्मिता, वाक्य शक्ति, बोलने की शक्ति
कर्ब : दुःख, दर्द, बेचैनी, रंज, ग़म
उन्वान : शीर्षक, टाइटल
इल्हाम : प्रेरणा
मानी : ताक़तवर
--- तुषार राज रस्तोगी ---
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