Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

 

mukammal

 

 

गैरों के एहसास
समझ सकते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

लोगों की परख
रखते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

बेबाक़ जज़्बात
बयां करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

आँखों से हर बात
कहा करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

क़ल्ब* को साफ़
किये चलते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

दिल से माफ़ी
दिया करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

आशिक़ी बेबाक
किया करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

लबों पर मुस्कान
लिए रहते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

खुल कर बात
किया करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

क़त्ल बातों से
किया करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

क़ौल* का पक्का
रहा करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

क़ायदा* गर्मजोशी
का रखते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

ज़बां पर ख़ामोशी
लिए रहते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

आफ़त को बिंदास
हुए सहते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

गुज़ारिश दिल से
किया करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

ग़म को चुप्पी से
पिया करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

जिगर शेर का
रखा करते हो, तो
मुक़म्मल इंसान हो तुम

 

 

जज़्बा बचपन सा
लिए जीते हो, तो
'निर्जन' हो तुम...

 

 

मुक़म्मल - पूर्ण / Complete
क़ल्ब - दिल / Heart
क़ौल - बात / Word of mouth
क़ायदा - तरीका, आदत / Way, Habit

 

 

 

 

--- तुषार राज रस्तोगी ---

 

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