Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

रात बाक़ी है अभी

 

 

raatbaki

 

रात बाक़ी है अभी
बात बाक़ी है अभी

 

ख़ामोशी में तेरी सनम
फ़रियाद बाक़ी है अभी

 

तेरी साँसों की गर्मी में
आग बाक़ी है अभी

 

फुसफुसाती आवाज़ में
जज़्बात बाक़ी है अभी

 

अलसाई इन आँखों में
ख्व़ाब बाक़ी है अभी

 

होठों की मुस्कान में
राज़ बाक़ी है अभी

 

तेरे दिल में थमे
अल्फाज़ बाक़ी हैं अभी

 

बातों के आगाज़ में
परवाज़ बाक़ी है अभी

 

शबनमी इस रात में
एहसास बाक़ी है अभी

 

रात बाक़ी है अभी
बात बाक़ी है अभी

 

 

 

--- तुषार राज रस्तोगी ---

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ