Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सार्थक अर्थ

 

 

sarthak

 

 

 

प्यार,

 

किसी ने पुछा मुझसे, क्या है प्यार?, किसे कहते हैं इश्क़?
क्या यह अच्छा है, या फिर, क्या यह बुरा है?
क्या यह ग़ज़ब का है, या फिर, क्या यह ख़राब है?
सच कहूँ तो, मालूम मुझे भी नही है
इसका क्या जवाब दूं, फिर भी,
अंततः जो समझा, बस इतना, कि
प्यार सभी भावनाओं में
सबसे सरल होकर भी
सबसे ज्यादा जटिल है

 

प्यार भावनापूर्ण सोच है
प्यार असामयिक भूख है
प्यार शुष्क प्यास है
प्यार मोह पाश है
प्यार अपरिमित व्यास है
प्यार असीमित व्योम है
प्यार करुनामय होम है
प्यार आसक्ति है
प्यार मुक्ति है
प्यार शक्ति है
प्यार भक्ति है
प्यार दयालु है
प्यार कठोर है
प्यार रसदार है
प्यार जीत है
प्यार हार है
प्यार अनोखा है
प्यार भयानक है
प्यार एक बीमारी है
प्यार एक इलाज है
प्यार एक व्यवहार है
प्यार बस प्यार है
प्यार दोस्ती है
प्यार बैर है
प्यार सार्थक है
प्यार व्यर्थ है
प्यार द्रोह है
प्यार विद्रोह है
प्यार मुश्किल है
प्यार सुखदायक है
प्यार शांतिदूत है

 

प्यार सच बुलवाता है
प्यार झूठ कहलाता है
प्यार सब समझाता है
प्यार सब उलझाता है
प्यार जीवन बनाता है
प्यार ज़िन्दगी ढहाता है
प्यार आँखें चमकाता है
प्यार कितना हंसाता है
प्यार उतना रुलाता है
प्यार दिल तोड़ जाता है
प्यार गले से लगाता है
प्यार दुनिया घुमाता है
प्यार नीचे गिराता है
प्यार मारा मारा फ़िराता है
प्यार श्रेष्ठता दर्शाता है
प्यार दुष्टता दर्शाता है
प्यार मुमकिन बनाता है
प्यार नामुमकिन बनाता है
प्यार में हर शय लायक है
प्यार में हर शय नालायक है
प्यार होशियार बनाता है
प्यार बेवक़ूफ़ बनाता है
प्यार ज्ञान बढ़ाता है
प्यार अंधा कर जाता है
प्यार प्रोत्साहित करता है
प्यार में डर लगता है
प्यार झगड़े बढ़ाता है
प्यार गले मिलवाता है

 

...और इस सब से ऊपर
प्यार हमेशा इसके लायक है, क्योंकि
प्यार बेहतर इंसान बनने की वजह है
जब भी आप किसी से प्यार करते हैं
तो फिर चाहे वो
बुरे वक़्त में साथ निभाने वाले दोस्त के लिए हो
अंत तक दिल की गहराई से चाहने वाले महबूब के लिए हो
बिना शर्त प्यार करने वाले अपनों के लिए हो, या
प्रभु के प्रति जटिल प्रेम भावना हो
वहां...इश्क़ करने के लिए कोई अर्थ नहीं होता
वहां चाहत का मतलब...सब कुछ होता है

 

कुछ फ़र्क नहीं पड़ता
प्रेम में कितना दर्द होता है
प्रेम में इंसान कितना रोता है
प्रेम आत्मपरीक्षण करता है
प्रेम आत्मविभाजन करता है
प्रेम सदा इसके योग्य है, क्योंकि
जो आपको मारता नहीं है,
वो आपको मज़बूत बनाता है
वक़्त बेशक़ कितना भी लग जाये
यदि आप प्यार के साथ जी रहे हैं, तो
आप एक बेहतर इंसान ही बनेंगे, क्योंकि
आप फिर गलतियाँ करने से
कोशिश करने से
चुनाव करने से
डरेंगे नहीं
और...सब से ऊपर
यदि आप किसी को चाहते हैं, तो
कोई फ़र्क नहीं पड़ता लोग क्या सोचते हैं
आप उसके लिए जान दे सकते हैं, लेकिन
आप उसके लिए, उसके साथ ज़िन्दगी जियेंगे भी
यही है...'निर्जन' के विचार से
चाहत, प्रेमभाव, मोहब्बत, पसंद, वफ़ा,
प्यार, वात्सल्य, प्रणय, सुभगता, प्रियतमा,
प्रीति, प्रेम, मुहब्बत, रुचि, स्नेह, इश्क़
...का सार्थक अर्थ...

 

 

‪#‎तुषारराजरस्तोगी

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