देखता हूँ, जब मैं, नज़रों में तेरी
दिखता है, उन में, अनुभव सदा
थामता हूँ, जब मैं, हाथों को तेरे
जान पाता, हूँ तब, ताक़त है क्या
छूता हूँ, जब मैं तेरी, कोमल त्वचा
बोध होता, है मुझे, सुभीता है क्या
सुनता हूँ मैं, जो तेरे, दिल की ध्वनि
अहसास होता, है मुझे, शक्ति है क्या
पुकारता हूँ, जब भी मैं, नाम तेरा
अपार खुशियाँ, साथ देती, हैं मेरा
चूमता हूँ, जब भी मैं, लबों को तेरे
दिल क्यों, उनमुक्त उड़ता है, बता?
आगोश में, होता हूँ मैं, जब भी तेरे
'निर्जन' का थम जाता है सारा जहाँ
सर झुकाकर, इश्क़ के,
सजदे में, हूँ मैं
क्या होती है इबादत?
उल्फ़त ने तेरी, समझा दिया...
सुभीता - comfort
#तुषारराजरस्तोगी
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