Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सवाब-ए-इश्क़

 

 

shababe

 

अपने मुस्तकबिल में चाहता हूँ
जान-ए-इस्तिक्बाल में वही
ख़ुदाया सवाब-ए-इश्क़ मिल जाए

 

 

इश्क़ से लबरेज़ दिल को मेरे
वो शान-ए-हाल मिल जाए

 

 

उनकी मदहोश आंखों में
मेरा खोया ख़्वाब मिल जाए

 

 

गुज़रते हुए लम्हातों में
इंतज़ार-ए-सौगात मिल जाए

 

सरगर्म मोहब्बत को मेरी
ख़ुशनुमा एहसास मिल जाए

 

अछाईयां जो हैं दामन में मेरे
उनका वो कारदार मिल जाए

 

आरज़ुओं से तरसती नज़रों को
वो गुल-ए-गुलज़ार मिल जाए

 

जो हैं ज़िन्दगी से ज्यादा अज़ीज़
वो यार-प्यार-दिलदार मिल जाए

 

अपने मुस्तकबिल में ढूँढता हूँ
जान-ए-इस्तिक्बाल में वही
ख़ुदाया सवाब-ए-इश्क़ मिल जाए

 

 

जान-ए-इस्तिक्बाल - Life of our future
सवाब - Blessing
शान-ए-हाल - Dignity of our present
सरगर्म - Diligent
कारदार - Manager

 

 

 

--- तुषार राज रस्तोगी ---

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