Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये रात

 

 

yeraat

 

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अलग सा एहसास, दिलाती है ये रात
दिलासा देती है, पास बुलाती है ये रात
लिपट के सोने को जी करता है इसके साथ
हालात हैं कि दिन की रौशनी से डरता हूँ
डर लगता है कि टूट न जाएँ ये हसीं ख्वाब
डर लगता है कि कोई मुझे यूँ देख न ले
देख ना ले कि आज भी अकेली है ये रात
तेरी याद है बस वक़्त गुज़ारने के लिए साथ
उम्मीद है बस दिल में यादें सँवारने के लिए पास
कभी तो मिलेगी कहीं तो मिलेगी वो मुझसे
यकीन अपने से ज्यादा 'निर्जन' उस पर क्यों है ?
आकर देख ज़रा कि भरोसा ज्यों का त्यों है
अलग सा एहसास दिलाती है यह रात

 

 

 

--- तुषार राज रस्तोगी -

 

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