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आहट

 
आहट

ये आहट भी बेज़ुबान है, 
अनकही सी दास्तान है।
खुशी देगी या देगी ग़म, 
इससे हम अनजान है।। 
शुभ हो तो मेहमान है, 
अशुभ हो तो हैरान है।
होनी का अहसास देती, 
यही इसका अहसान है।। 
व्यवहार का संज्ञान है, 
मासूम है पर शैतान है। 
स्वेच्छा से आ आना, 
आहट का ये गुमान है।। 
स्वतंत्र है और शांत है, 
जैसे खुला आसमान है। 
अद्भुत चमत्कारों भरी, 
यह प्रकृति महान है।। 

लेखक - उमेश पंसारी (सीहोर, मध्य प्रदेश) 
समाजसेवी व कॉमनवेल्थ स्वर्ण पुरस्कार विजेता
Mo. 8878703926 



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