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“विश्व कार्यस्थल सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दिवस” का महत्त्व''

 

आलेख प्रकाशन हेतु निवेदन - शीर्षक - 28 अप्रैल विशेष - “विश्व कार्यस्थल सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दिवस” का महत्त्व


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28 अप्रैल विशेष - “विश्व कार्यस्थल सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दिवस” का महत्त्व

भोर की पहली किरण के साथ ही हर सामाजिक व्यक्ति प्रतिदिन एक नई और प्रगतिशील ऊर्जा समाहित करके अपने कार्यस्थल पर जाने के लिए उत्साहित रहता है | एक तरह से अच्छा ही है, कि मानव कर्तव्यपरायणता और श्रमशीलता का जीता – जागता उदाहरण है और हमेशा बना रहेगा | किन्तु कार्य के प्रति उत्साहपूर्ण होना क्या कार्यस्थल की सुरक्षा सुनिश्चित करता है? क्या हम कभी सोचते हैं, कि कार्य करने का स्थान असुरक्षित या असहज भी हो सकता है? क्या कार्यस्थल पर होने वाली दुर्घटनाओं पर कभी विचार किया है?

सहज, सुरक्षित और अनुकूल कार्यस्थल के महत्वपूर्ण विषय को जन - जागरूकता के मंच पर लाना आवश्यक था | इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (इंटरनेश्नल लेबर ओर्गनाइजेशन) ने व्यवसायिक दुर्घटनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने और बीमारियों को रोकने के लिए “विश्व कार्यस्थल सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दिवस” प्रत्येक वर्ष 28 अप्रैल को मनाने का निर्णय लिया | वर्ष 2003 से अब तक 28 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र, आई.एल.ओ. (अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन), समुदायों, व्यापारिक निकायों और संगठनों द्वारा “विश्व कार्यस्थल सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दिवस” के रूप में मनाया जाता है |

कार्यस्थल पर स्वास्थ्य मानकों को बनाए रखना, किसी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना या बीमारी की रोकथाम इसके महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं | अकाल मृत्यु की तरह फैली कोरोना महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्यकर्मियों के लिए यह दिवस अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो गया है | इस वर्ष की थीम है – “Anticipate, Prepare and Respond to Crisis – Invest Now in Resilient Occupational Safety and Health System”. आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्यस्थल पर होने वाली दुर्घटनाओं अथवा कार्यस्थल पर होने वाली बीमारियों के परिणामस्वरूप 2.3 मिलियन लोग मारे जाते हैं | ख़राब व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के कारण वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है | अनेक परिवारों की आजीविकाओं की हानि सहित अर्थव्यवस्था में अस्थिरता भी इसके दुष्परिणाम है | संयुक्त राष्ट्र ने भी इसका महत्त्व समझते हुए 25 सितंबर 2015 को सतत विकास लक्ष्यों हेतु अपनाए गये एजेंडा में सतत विकास लक्ष्य 8 को भी अपनाया, जिसके अनुसार समावेशी और स्थायी आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार तथा सभी के लिए सभ्य कार्य की सुनिश्चितता शामिल हैं | वर्तमान परिपेक्ष्य में कोरोना महामारी के चलते हमें ध्यान रखना होगा, कि जो लोग समाज को आज अपनी जान पर खेलकर और असुरक्षाओं के बीच हमारे प्राणों की रक्षा के लिए कार्यरत है, हम उन्हें सहयोग, सरहना और सद्भाव भरा वातावरण प्रदान करें |


लेखक – उमेश पंसारी

विद्यार्थी, युवा नेतृत्वकर्ता व समाजसेवी, एन.एस.एस. और कॉमनवेल्थ स्वर्ण पुरस्कार विजेता 

जिला सीहोर, मध्य प्रदेश

मो. 8878703926, 7999899308

Email – umeshpansari123@gmail.com

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