Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मोहब्बत

 

 

तुम अपने हाथो की मेहँदी में
मेरा नाम लिखती थी और
मैं अपनी नज्मो में तुझे पुकारता था जानां ;

 

 

लेकिन मोहब्बत की बाते अक्सर किताबी होती है
जिनके अक्षर
वक्त की आग में जल जाते है
किस्मत की दरिया में बह जाते है ;

 

 

तेरे हाथो की मेंहदी से मेरा नाम मिट गया
लेकिन मुझे तेरी मोहब्बत की कसम ,
मैं अपने नज्मो से तुझे जाने न दूंगा...

 

 

 

ये मेरी मोहब्बत है जानां !!

 

 

 

 

विजय कुमार सप्पत्ति

 

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