Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मोरे सजनवा !!!

 

घिर आई फिर से... कारी कारी बदरिया
लेकिन तुम घर नहीं आये....मोरे सजनवा !!!
नैनन को मेरे,तुमरी छवि हर पल नज़र आये
तेरी याद सताये ,मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये....मोरे सजनवा !!!

 

सा नि ध पा,मा गा रे सा........

 

बावरा मन ये उड़ उड़ जाये जाने कौन देश रे
गीत सावन के ये गाये तोहे लेकर मन में
रिमझिम गिरती फुहारे बस आग लगाये
तेरी याद सताये ,मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये....मोरे सजनवा !!!

 

सा नि ध पा,मा गा रे सा........

 

सांझ ये गहरी,साँसों को मोरी ; रंगाये,
तेरे दरश को तरसे है ; ये आँगन मोरा
हर कोई सजन,अपने घर लौट कर आये
तेरी याद सताये ,मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये....मोरे सजनवा !!!

 

सा नि ध पा,मा गा रे सा........

 

बिंदिया, पायल, आँचल, कंगन चूड़ी पहनू सजना
करके सोलह श्रृंगार तोरी राह देखे ये सजनी
तोसेलगनलगाकर,रोग दिलकोलगाये
तेरी याद सताये ,मोरा जिया जलाये !!
लेकिनतुमघरनहींआये....मोरेसजनवा !!!

 

सा नि ध पा,मागारेसा........
बरस रही है आँखे मोरी ; संग बादलवा..
पिया तू नहीं जाने मुझ बावरी का दुःख रे
अब के बरस, ये राते ; नित नया जलाये
तेरी याद सताये ,मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये....मोरे सजनवा !!!

 

सा नि ध पा,मा गा रे सा........


आँगन खड़ी जाने कब से ; कि तोसे संग जाऊं
चुनरिया मोरी भीग जाये ; आँखों के सावन से
ओह रे पिया,काहे ये जुल्म मुझ पर तू ढाये
तेरी याद सताये ,मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये....मोरे सजनवा !!!

 

घिर आई फिर से... कारी कारी बदरिया
लेकिन तुम घर नहीं आये....मोरे सजनवा !!!

 

 

विजय कुमार सप्पत्ति

 

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