माँ क्या पापा घर आ गये है ?सुलभा ने रसोई घर में काम कर रही अपनी माँ के गले में प्यार से
बान्हे डालते हुए पूछा |
नही बेटा,अभी नही आये | माँ ने मुस्कराते हुए जवाब दिया |
सुलभा के चेहरे पर हल्की सी उदासी छा गयी | "अरे उदास क्यू हो रही हो? जब पापा आयेंगे
तो खुद बात कर लेना उनसे "|
तभी दरवाजे की घंटी बजी तो सुलभा ख़ुशी से दरवाजे की तरफ दौड़ी |पापा ही थे और भुर खुश भी नजर आ रहे थे |उसने सोचा चलो अच्छा है कि पापा का मूड बढिया है| अब शायद वो हाँ कर दें |
अरे सुमति जरा चाय लाओ भाई और ये मिठाई का डिब्बा दिया है शास्त्री जी ने "
मिठाई किस ख़ुशी में जी ",सुमति ने पूछा
अरे उनकी बेटी नीरू गयी थी न दिल्ली डांस प्रतियोगिता में ,प्रथम आई है |
ये सुनते ही सुमति ने कहा ," सुनो जी अपनी सुलभा का भी कोलेज में चयन हुआ है .पंजाबी डांस क लिए |उसे भी बाहर जाना है दो दिन क लिए |
सुलभा मुहं में मिठाई डालते हुए जवाब का इन्तजार कर रही थी |
पर पापा तो जैसे एकदम गुस्से से कुर्सी से उठ खड़े हुए ,''क्या दो दिन ! हरगिज नही |गुस्से से मेरी तरफ देखा ,"सुलभा तुम सिर्फ स्टडी पर ध्यान दो |जमाना कितना ख़राब है पता ह न "|
सुलभा के मुहं में मिठाई थी पर मन अंदर तक कडवा हो गया था|अभी पापा ने शास्त्री अंकल की बेटी के डांस प्रतियोगिता जीतने की खुँशी बांटी तो मेरे डांस करने पर ऐतराज क्यूँ?आखिर क्या अंतर है मुझ में और शास्त्री अंकल की बेटी की ख़ुशी में |
वैशाली भरद्वाज
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