Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चलो माना कि वो शख्स दाग वाला है

 

चलो माना कि वो शख्स दाग वाला है

पर आइना तेरा भी तो बहुत काला है

 


उसने जरूर कुछ छिपाया होगा लेकिन

परदा तुने भी खुद पे डाला है

 


एक की बेवफाई पे बशर भूले दुनिया

खुदा ने कैसे खुद को फिर संभाला है

 


नफरत का जहर यूँ खत्म नहीं हो पाया

तुमने हँस हँस के इसे पाला है

 


रोज लगता है अब आने को क़यामत है

फूटने ही वाला दिल का छाला है

 


छत नहीं है तो बस सर पे सच के

जिसे हर किसी ने दुनिया में निकाला है

 


उफ़ सवालों से भरी पड़ी है ये दुनिया

वक्त के मुहँ पे भी क्या ताला है

 


बिना अशर्फी के कोई औकात नहीं यारो

दौलत दिखा दे तो तू ही आला है

 


एक डोर टूटे तो दूसरी में जा उलझे

न सुलझने वाला ये कैसा ज़ाला है

 


हँस के मांगे हैं सज़ा गुनाहगार

मासूमों का इस कदर दिवाला है

 


जलते चिराग को जलने नहीं देती दुनिया

बुझे चिराग में ढूँढती उजाला है

 

वैशाली भरद्वाज (pichu sharma)

 

 

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