Vaishali Bhardwaj
दुनिया की दौड में कोई पीछे न आगे है
गौर से देखो तो लोग बस भागे हैं |
कोई नहीं चाहता के कोई चैन से सोये
इसी तकलीफ में तो सारे लोग जागे हैं |
रिश्ते यहाँ पे बस इसलिए करीब हैं
स्वार्थ के उलझे हुए आपस में जो धागे हैं |
एक ठग पे दूसरा ठग आके बैठ जाता है
लालच ही लालच ,इसे कौन त्यागे है
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