Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दुनिया की दौड में कोई पीछे न आगे है

 

 

Vaishali Bhardwaj

 

greed


दुनिया की दौड में कोई पीछे न आगे है
गौर से देखो तो लोग बस भागे हैं |


कोई नहीं चाहता के कोई चैन से सोये
इसी तकलीफ में तो सारे लोग जागे हैं |


रिश्ते यहाँ पे बस इसलिए करीब हैं
स्वार्थ के उलझे हुए आपस में जो धागे हैं |


एक ठग पे दूसरा ठग आके बैठ जाता है
लालच ही लालच ,इसे कौन त्यागे है

 

 

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