Vaishali Bhardwaj
गिले शिकवे न संभाल के रखा जाए
रंजिशों को न ऐसे पाल के रखा जाए
दोस्ती के नकाब में हो सकता है दुश्मन भी
दोस्त को क्यूँ बिना ख्याल के रखा जाए
हमेशा गैर के हालत पे नज़र रखने वाले
खुद पे भी तो हिज़ाब डाल के रखा जाए
तलाश में जवाब की सवाल हो रहें हैं लोग
कभी तो दुनिया को बिना सवाल के रखा जाए
अंधेरों की चादर तो सब खींचते रहते हैं
बुझते चिरागों में भी तेल डाल के रखा जाए
रचाया ही गया गया है खेल दुनिया का ऐसे
मुश्किल है कि दिल को बिना ज़ाल के रखा जाए
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