मात्र बीज बोना ही नहीं काफी
मात्र पैदा होना ही नहीं काफी
माटी की देह में जैसे प्राण जरूरी है
व्यक्तित्व में भी कुछ जान जरूरी है |
सपनों के पाँव हो
विश्वास की छाँव हो
हौंसलों के हाथ हो
आशाएँ भी साथ हो
दृढ़ता हृदय में हो भरी
जिंदगी न हो डरी-डरी
जो सीखने की हो ललक
मिलेगा फिर तुझे फलक
हदें खुली है आसमान की
प्रतीक्षा तेरी उड़ान की
पंख खोल ,फडफडा
शांत तू है क्यों खड़ा ?
जिंदगी में गुणों की जड़ जरूरी है
अपने आप पर भी पकड़ जरूरी है
आँख से आँख मिलाने की जरूरत है
व्यक्तित्व की बनती तभी सूरत है |
वैशाली भरद्वाज (pichu sharma)
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