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कोख से तुझे बाहर लाऊं के न लाऊं मेरी नन्ही बिटिया

 

Vaishali Bhardwaj

 

कोख से तुझे बाहर लाऊं के न लाऊं मेरी नन्ही बिटिया


कोख से तुझे बाहर लाऊं के न लाऊं मेरी नन्ही बिटिया
वहशी दुनिया कैसे तुझे दिखाऊं मेरी नन्ही बिटिया |
तेरे जन्म के लिए भी मुझे अर्जी देनी पड़ेगी
तेरी माँ अपनी लाचारी से किस तरह लड़ेगी
क्या तुझे भी इस जंग का हिस्सा बनाऊं मेरी नन्ही बिटिया |
मेरे अस्तित्व के नाम पे होता बहुत शोर है दुनिया में
लेकिन हम तो बस पुरुष के अहं का कौर है दुनिया में
क्या तुझे भी किसी का एक कौर बनाऊं मेरी नन्ही बिटिया |
माना हया बुरी नहीं पर बेहयाई भी तो अच्छी नहीं
दुनिया सिर्फ मेरी है ये दुहाई भी तो अच्छी नहीं
और किस बात से परदा उठाऊं मेरी नन्ही बिटिया |
तेरे कद के साथ तेरे गम भी बड़े होते जायेंगे
फूल के साथ कई कांटे भी खड़े होते जायेंगे
तुझे किस किस कांटे से बचाऊँ मेरी नन्ही बिटिया
यहाँ बोने लोग ,बोनी नजरे और बोनी बातें है
बस दिखावे के लिए ऊँचाई ये दिखाते है
फिर तुझे किस ऊँचाई पे बिठाऊँ मेरी नन्ही बिटिया |
हर कायदा अलग है औरत के लिए जमाने में
ये न तो खोने में रहती हैं और ना पाने में
फिर तुझे कौन सा हक दिलाऊँ मेरी नन्ही बिटिया

 

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