Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ना की बस अपने उज़न में रखिये

 

ना की बस अपने उज़न में रखिये
बड़ो की बात को मन में रखिये
औरों की जिन्दगी भी पीछे चले
उसूल ऐसे कुछ जीवन में रखिये
पलड़ा दुश्मनी का खुद आएगा नीचे
दोस्ती को ज्यादा वजन में रखिये
वादा निभाना ही सबसे मुश्किल है
सोच कर खुद को किसी वचन में रखिये
एक काँटा भी नज़रंदाज़ नहीं करती दुनिया
खुशबु कितनी भी आप गुलशन में रखिये
सूनापन खा जाता है दिल को धीरे धीरे
दिल को किसी न किसी जश्न में रखिये

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