वैशाली भरद्वाज (pichu sharma)
पहले तलवारो में भी इक हया हुआ करती थी
जो मान के हुकम मयानो में रहा करती थी।
कतल ना हो जाए कहीं मुझसे किसी का
सोचती थी बहुत,हाथ में आने से ङरती थी।
पर अब जम़ाना ही तलवार का हुआ लगता है
सर कलम अब पयार का हुआ लगता है।
सरेआम काट दी जाती है गदॅन बेबाकी से
ना पूछा जाता है दिल से ,ना खाकी से
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