रोना इक रवायत ,हँसना मजाक हो गया है
जीना इस कदर आजकल बेबाक हो गया है |
आदत सी हो गयी है ज्यादती आजकल
आदमियत का रुतबा यूँ ख़ाक हो गया है |
जीने का जरिया कभी होती थी दौलत
खुद आदमी ही इसकी अब खुराक हो गया है |
चाहे उलझ ही जाएँ दुनिया की और बातें
सबसे बड़ा सवाल बस अब नाक हो गया है |
वैशाली भरद्वाज
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