तेरे पंख और तेरी उड़ान जाहिर है
तेरी सोच का आसमान जाहिर है
जो दूंढ लेती है किरदार तेरी आँखें
भीतर टटोलने की पहचान जाहिर है
पेशगी में शब्द की जो सजावट है
मशक्त्त से जोड़ा गया सामान जाहिर है
तेरी बनाई तस्वीर में रंग और भरें
किसी की ख़ामोशी ,किसी का शोर भरें
कहना पड़ा के तेरा अंदाज़ है अलग
ख़ूबसूरती भरा बयान जाहिर है
वैशाली भरद्वाज (pichu sharma)
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