अरे विद्या नही उठी क्या सोकर ? कमल ने चाय पीते हुए अपनी पत्नी से पूछा |
"नहीं ,आज उसे स्कूल देर से जाना है तो मैंने उसे उठाया नहीं |" सोफे की धुल झाड़ते हुए सीमा ने कहा |
उसका फीवर कैसा है ? कमल ने पूछा |
"मुझे तो ठीक लग रहा है फिर भी उसे थोड़ी दवा और दूंगी अभी | शहर पर तो जैसे इन मुए मच्छरों ने कब्ज़ा ही कर लिया है |सरकार ऐसे ही शेर बनी फिर रही है |जब देखो टीवी पर दहाड़ते रहते हैं ये नेता | मैं तो कहती हूँ बस अपना खाना हजम करने आते हैं टीवी पर|"
अरे झड तो गयी | मैंने हँसते हुए कहा |
क्या ? सीमा हैरानी से देखने लगी |
इन नेताओं के दिमाग की धूल भई" मैंने उससे झाड पोंछ का कपडा छीनते हुए कहा |
सीमा के चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गयी |
तभी कमरे से हमारी नौ साल की बेटी विद्या उनींदी आँखें मलती हुई बहर आई और अपनी माँ से लिपट गई |
अले मेला बेबी ,हैप्पी बर्थडे...सीमा ने उसे प्यार करते हुए कहा |
मैंने भी उसे प्यार से गोद में उठाया और जन्मदिन की बधाई दी |
पापा ,आज मैं स्कूल में अपने सभी दोस्तों को टॉफियाँ दूंगी |
ओके ,मैं आपको बड़ा सा पैकेट लाकर दूंगा |मैंने अपनी बेटी विद्या से कहा |
सुनो शाम को छोटी सी पार्टी है तो आज प्लीज घर जल्दी आ जाना | सीमा ने कहा |
हां हाँ ,ये भी कोई कहने की बात है | " चलो बेटा,तुम तैयार हो जाओ |
शाम को सीमा ने घर खूब सजा दिया | सारे मेहमान और बच्चे ही आ गये |विद्या भी अपनी गुलाबी ड्रेस में इधर उधर डोलती घूम रही थी |
थोड़ी देर बाद जब केक काटने का टाइम आया तो मैंने सीमा से विद्या को बुलाने के लिए कहा लेकिन सीमा ने घबराते हुए कहा कि विद्या कहीं दिखाई नहीं दे रही |
" अरे थोड़ी देर पहले तो यहीं घूम रही थी !" मेरी भी सांस फूल गई थी |मेहमानों को पता चला तो वो भी बहुत घबरा गए |
इससे पहले मैं विद्या को खोजने बाहर जाता तभी सामने से विद्या किसी लड़की का हाथ पकड़ कर आ रही थी | मैं और सीमा ख़ुशी और तेजी से उसके पास गए |
" अरे तुम नोनी के साथ हो " नोनी हमारी कॉलोनी के चौकीदार की लड़की थी |विद्या की हमउम्र और कभी कभी घर पर खेलने भी आती थी |
"पापा क्या नोनी मेरे साथ केक काट सकती है ? आज नोनी का भी जन्मदिन है पापा |
मैं सीमा को हैरानी से देख रहा था और सभी मेहमान हमें देख रहे थे कि इससे पहले हम विद्या को उसके जन्मदिन का तोहफा देते खुद विद्या ने किसी की ख़ुशी को अपनी ख़ुशी के साथ जोड़कर अपने जन्मदिन को ही किसी का तोहफा बना दिया था | सबकी आँखें ख़ुशी से भर गयी थी विद्या की अपनी सहेली के लिए मासूमियत और प्यार सबको समझ आ गया था | सबने तालियाँ बजाते हुए विद्या की बात पर हामी भरी और दोनों बच्चियों को गोद में उठा कर केक की तरफ ले गये और बड़े प्यार से जन्मदिन का गीत गाया |विद्या की ये बात सबके दिल को छू गयी थी |
वैशाली भरद्वाज
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