आज घर घर में पूजा महाभारत की
शकुनि और दुर्योधन के गूंजे अट्टहास
गीता की किताब मात्र सजावट का हिस्सा
रामायण की भी नीति न फटकी पास
सीता जैसे लाज नहीं अब बहुओं में
राम के जैसी मर्यादित पुत्र नहीं है
खुद की जगह मात पिता को दे दें वनवास |
नियम और सिद्धांत छटपटा रहें हैं
जीवन का मोल आखिरकर क्यों घटा रहें हैं |
Vani Prakash
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