सोने की चिड़िया था भारत ,पंख कुतर गए इसके सारे
पहले कुतरे बाहरवालों ने ,अब तो लगे हैं नेता हमारे |
रोज घोटाला ,रोज जांच है ,सच को लगती रोज आंच है
चढ़ते और उतरते है रोज ,यहाँ की बेबस जनता के पारे |
आंचल खिंचते यहाँ रोज है ,मासूमों पे भी अब ये बोझ है
एक से एक अश्लील कहानी हंस कर पेश करें सितारे |
कला काम अब एक हो गए ,मानो या फिर जाने दो तुम
ऐसा ही गर चलता रहा तो चेहरे सबके ही होने फिर कारे |
Vani Prakash
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