अपनी आँखों में आँसू न लाया करो
गम अपना हमें भी बताया करो
नफरतों का जहर भी उतर जायेगा
प्यार के गीत भी गुनगुनाया करो
गर बनाना हो अपना सफर खुषनुमा
साथ मेरे भी तुम आया जाया करो
वक्त मिलने का तुमको मिलता नही
ख्वाब पलकों पर अपने सजाया करो
जब भी निकलूं घर के तेरे पास से
खोलकर खिड़कियां मुस्कुराया करो
‘ब्रज’ तेरी जुल्फों का दीदार हो जायेगा
खुली छत पे चाॅदनी में नहाया करो
• वेणी शंकर पटेल ‘ब्रज’
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY