Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

खत लिखना तुम

 

बार बार आती हैं यादें खत लिखना तुम
भूल न पायें मीठी बातें खत लिखना तुम
कागज कंगन विंदिया और बाहों के घेरे
कैसे काटें लंबी रातें खत लिखना तुम
अब भी करती षैतानी क्या नटखट बेटी
विट्टू मांगे नई किताबें खत लिखना तुम
अब की बार बदलवा दूंगा चष्मा बाबूजी का
मत करना नम अपनी आंखे खत लिखना तुम
जां बाकी है डटे रहेंगे करगिल की चोटी पर ‘ब्रज’
जब सरहद से दुष्मन भागें खत लिखना तुम

 

 


• वेणी शंकर पटेल ‘ब्रज’

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ