Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इस एकले भरे ज़िन्दगी में

 

इस एकले भरे ज़िन्दगी में
अपने रहकर भी अपनापन हैं कहा

 

शरीर खुद का कहकर भी
वो खुद का हैं कहा
उसको मिटाना चाहा भी तो
उसका मुज़े हक़ हैं कहा

 

ख़तम कर भी लिया तो
दफनाने के लिए खुद कि जगह हैं कहा
खफन पर डालने के लिए भी तो
खुद कि मिटटी हैं कहा

 

दफनाए कफ़न पर भी
दो फूल चढ़ाने के लिए किसी को फुरसत हैं कहा
फूल चढ़ाये तो भी
दो आंसू बहाने के लिए अपने हैं कहा

 

इस एकले भरे ज़िन्दगी में
अपने रहकर भी अपनापन हैं कहा

 

 

 

Vijay Patil

 

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