Vijay Patil
हर सांस में तेरी मेहक हैं
हर नज़र पे सिर्फ तेरी तस्वीर हैं
हर लब्ज तेरे नाम से सुरु होता हैं
फिर भी कहती हैं
तुजे प्यार करने नहीं आता हैं
रात में जब भी चाँद दिखता हैं
उसमे सिर्फ तेरी हंसी दिखती हैं
अनचाहे वही हंसी हमारे होठो पे आती हैं
और कब आँखों से बरसती हैं
पता भी नहीं चलता हैं
फिर भी कहती हैं
तुजे प्यार करने नहीं आता हैं
दोस्तों में जब भी रहते हैं
रहकर भी खुद को तुम्हारे साथ महसूस करते हैं
पर जब अपने खुद के पीठ पे एक हाथ पड़ता हैं
तब होठो पे एक ही सवाल रहता हैं
"क्या हुआ हैं ? "
फिर भी कहती हैं
तुजे प्यार करने नहीं आता हैं
जब भी सामने आती हैं
धड़कन तेज़ होती हैं
निघाये सिर्फ तुम पे होती हैं
नहीं कुछ सोचता हैं
नहीं कुछ दिखता हैं
अजीब सी मुस्कराहट ओठो पे होती हैं
फिर भी कहती हैं
तुजे प्यार करने नहीं आता हैं
और जब भी सामने नहीं होती हो
आँखे सिर्फ तुम्हे ही ढूंडती हैं
ना मिलाने पे कब बरसती हैं
पता भी नहीं चलता हैं
फिर भी कहती हैं
तुजे प्यार करने नहीं आता हैं
जब से छोड़ के गयी हैं
हमारी मुस्कराहट ओठो से गयी हैं
तंग आचुके इस झूटी मुस्कान से
तंग आचुके इस एकलेपन से
नफ़रत सी हो चुकी खुद से
फिर भी कहती हैं
तुजे प्यार करने नहीं आता हैं
तुजे हि अपनी ज़िन्दगी बनाया हैं
ख्वाब में भी तुजे हि देखते हैं
ज़िन्दगी रहे या ना रहे
दिल में सिर्फ तुमही रहोगी
फिर भी कहती हैं
तुजे प्यार करने नहीं आता हैं
प्यार करने नहीं आता हैं
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY