मानव अंतरिक्ष को पढ़ता है।
विशाल रहस्यों को खोलता है।
जैसे-जैसे मन विकसित होता है।
मौत का परिधान निर्मित होता है।
जरा देखो क्या आज हो रहा है!
मौत का ये शृंखला कई माह से चल रहा है।
पता नहीं,नियम क्यों यह जग में चलता है,
जो निर्बल है,उसी को भगवान छलता है।
जब-जब मानव प्रकृति पे अति किया है,
तब-तब स्वयं मानव पे ही छती हुआ है।
ज्ञान-विज्ञान साधन,संसाधन सब फिका लगता है।
जब मानव-मानव को छूने से डरने लगता है।
Address-village-dayalpur
Post- jhandapur
District-bhagalpur,bihar
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