Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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लव यू कोटा

 

अंकल, नमस्कार.में डकनिया स्टेशन की पुलिया पर खडा हूँ.अंकल 15 मिनट बाद फ्रंटियर मेल आ रहा हे.बस में जा रहा हूँ.अलविदा अंकल अलविदा!
अरे!बिल्कुल पागल हो गये हो क्या ?देखो, मुकुट बिहारी मेरी बात सुनो,बेटा,जिन्द्गी से डर कर एसे भागा नही करते.प्रोफेसर साहब ने फिर कुछ कह दिया या विकली रिपोर्ट मे कुछ नम्बर कम आ गये तो क्या इसका मतलब कि आत्म हत्या कर लो ?
अंकल आज तो प्रोफेसर साहब ने बहुत डाँटा और कहा कि तुम बहुत कम दिमाग के हो? तुम
तो आई.आई.टी.तो क्या बारहवी भी भी पास नही कर सकते हो ?
अच्छा मुकुट बिहारी मेरी बात तो सुन,देख तू मुझे जानता ही हे,मुझे अपना कुछ कुछ मानता भी हे.एसी कोई बात मत कर जिससे तेरा जीवन नष्ट हो या तेरे परिवार पर गंभीर प्रभाव पडे.भगवान ने मानव जनम यूही नही दिया?मुकुट बिहारी प्लीज रुकजा.प्लीज रूक में आ रहा हूँ.
अच्छा अंकल आप आजाऔ.
मे किसी प्रकार आटो मे बेठ् कर डकनिया पहुचा .वहा देखा तो मुकुट बिहारी रेल पुलिया पर बेठा हुआ था.किसी प्रकार पुचकार कर मुकुट बिहारी को होस्टल छोडा.
आपको बता दूँ कि मुकुट बिहारी मेरे दूर के रिश्तेदार जो भोपाल से थे उनका बडा लडका था.पड़ने लिखने में होशियार था.अत: उसे आई.आई.टी.की कोचिन्ग हेतु कोटा भेज दिया.साथ ही वो बारहवी भी कर रहा था.
वो कोटा आ तो गया .किंतु यहा के कोचिन्ग एवं स्कूल क्म्पीटीशन और विक्ली रिपोर्ट के तनाव के चलते बहुत जल्दी ही अपना मानसिक संतुलन खो बेठता था.
कोचिन्ग के प्रोफेसर साहिब से वीक्ली रिपोर्ट के बारे में बातचीत की.वो बोले हमें बच्चे की मानसिक और तार्किक मनोबल से मतलब नही हे.यहाँ क्लास रुम मे विकली टेस्ट मे बच्चे की हर प्रकार से दिमाग का एनालीसिस होता हे.जो बच्चा इसमे पास हो जाता हे वो पास और जो बच्चा फैल हो जाता हे वो फैल.वेसे प्राय:जो बच्चे भलेही कितने ही मेधावी क्यों नही हो लेकिन अगर वो विक्ली टेस्ट में पीछे हो जाता हें तो पीछे ही चलता हें.
मेने कहा कि सर! ये गलत हे,इससे तो बच्चा मानसिक तनाव में आजायेगा.
आप किस जमाने कि बात कर रहें हें भाइसाहिब
आजकल पैरेंट्स खुद कम्पिटिशन चाहते हें.तो हम कोचिन्ग वाले गुडवील के चक्कर में विक्ली टेस्ट को हाइ लाइट और ग्लैमरस बना देते हें.क्योकी हमें तो नाम और नामा दोनो मिलते हें.
यह सुन कर में काप गया.इसिलिये कोटा में बच्चों का सूसाइड ग्राफ बहुत बडा हेअब ऐसे मे मुझे मुकुट बिहारी को इस प्रकार की हालत से उबारना था.
मेने मुकुट बिहारी को फ्री टाइम में समझाया.
देखो तुम बस जितना प्रयास कर सकते हो.उतना श्रम करो.बाकि ईश्वर के हाथों में छोड दो.साथ ही खाने पीने का ध्यान दो.कभी कभी कोटा तालाब.सेवेन वंडर्स, सी.बी. गार्डेन और सर्किट हाउस वाले गणेश भगवान के दर्शन भी कर आया करो.
उसके माता पिताजी को भी सही हालात से अवगत करा दिया.उनसे भी कह दिया कि आप मुकुट बिहारी पर ज्यादा दबाव मत डालो.उसकी जितनी केपेबीलीटी हे.उससे और ज्यादा की आशा मत करो.
कुछ दिनो बाद फिर से मुकुट बिहारी का फोन आया.अंकल में गैपरनाथ की झरने वाली चट्टान पर बेठा हूँ.अंकल मे विक्ली टेस्ट मे फैल हो गया हूँ.अंकल मेरी किस्मत खराब हे,में आई.आई.टी. नही कर सकता.अलविदा अंकल!
हे भगवान! तुम किस तरह के इंसान हो?जरा जरासी बातों मे मरने की बातें करते हो?तुम गैपरनाथ जेसी क्रूशल जगह पर पहूँचे केसे?
अंकल, पैदल,पैदल.
है भगवान? पहुँचने मे कितने घंटे लग गये होंगे?
मुकुट बिहारी तुम मुझे कुछ मानते हो या नही.
अंकल बहुत ज्यादा,शायद जान से ज्यादा.
देखो!मुकुट बिहारी,माइ सन,मुझे पता हे कि
तुम एक प्रकार से चक्कर घिन्नी व्यक्ति हो?
मेने तुम्हे समझाया था कि कोई भी गलत कदम उठाने से पहले बेटा मुझे बुला लेना.अपने घर वालों के चेहरे याद कर लेना.किसी प्रकार उसे समझाया,उसे किसी प्रकार मैन गेट तक पहुँचने को बोला.
हालांकि में उससे सम्पर्क में रहता था.किंतु उसके अवयस्क,नासमझ,चक्करघिन्नी हो जाना ,कभी घर से बाहर नही निकलना,घर घूस्सू होना,घबरा जाना आदि कई साक्षात कारण थे.
अंकल में भवरकुंज की चट्टान पर बेठा हुँ.स्कूल के हाफ येरली एग्जाम मे फैल हो गया हूँ.बाय बाय अंकल.अलविदा.
अरे!तुम वहाँ पहूँचे कैसे?अभी बरसात नही हे,नही तो तुम उस जगह दिखते भी नही.तुम किनारे तक पहुचो या हैंगिंग ब्रिज तक पहुचो.तुम प्लीज कोई सुसाइडल कदम मत उठाओ.में आ रहा हुँ .ये सब स्थान मेरे घर से दो , दो घंटे की यात्रा की दूरी पर हें.
किसी प्रकार भंवर कुंज पहूँच कर उसे लेकर आया.बहुत समझाने पर बोला.
अंकल, मेने जितनी बार भी अलविदा होने की कोशिश की हे.लास्ट मुमेन्ट पर आप तो याद आये ,वरन सभी घर वाले भी याद आयें हें.
प्राय:नये कोटा मे कोटावासीयो को इस प्रकार के चक्कर घिन्नी बच्चों से समय समय पर हर समय वास्ता पड़ ही जाता हे.इससे निपटने बाबत कई संस्थान,अस्पताल भी हें.लेकिन फिर भी कई फेक्टर एसे हें जो नासमझ बच्चों में
तनाव बहुत पैदा करते हें.
खैर!किसी प्रकार मुकुट बिहारी को फिर बचा कर ले आया.किंतु अब मुकुट बिहारी पर कडा ध्यान देने की जरूरत आ गई थी.
अब जब भी रिज्लट आने का समय आता में वहाँ पहूँच जाता,साथ ही मनोरोग चिकित्सक से भी इलाज जारी रखा.
कोचिन्ग संस्थान के प्रमुख से मुकुट बिहारी के बारे में बात चित की तो वो तो पूरे बिजनेसमेन निकले.
देखीये, आपकी फ़ालतू बातों के लिये हमारे पास टाइम नही हे यहाँ हजारों लाखों बच्चे आते हें.कुछ बच्चे मेधावी भी होतें हें.किंतु फिस्सडी भी हो जाते हें तो हम इन्हे देखें या दूसरे बच्चों को?आप जाइये.हमे अपना काम करने दिजिये.
अब जब भी रिज्ल्ट आता.में उसी के साथ समय व्यतीत करता.कुछ समय मंदिर.पार्क आदि में भी ले जाता.शहनाई और तबला वाद्न भी सुनते और एक या दो घंटे योगा भी करते..धीरे धीरे वो एवरेज आने लगा.लेकिन उसमे एक चेंज जरूर आ गया था,एवरेज आने के बाद भी उसमे नकारात्मक सोच नही थी.समय निकलता जा रहा था.कोचिन्ग कब खत्म हो गई थी.पता ही नही चला.उसके इग्जामिनेशन का सेंटर भी सेंट्रल स्कूल ही आया था.सेवेरे हलका नाश्ता करके वो और मे सेंटर पर आ गये.उसका पेपर उसके अनुसार ठीक ही गया था.अपना सभी सामान लेकर वो रात की ट्रेन से भोपाल चला गया.
कुछ समय निकल गया.अचानक एक दिन सवेरे
सवेरे मुकट बिहारी का फोन आया.
अंकल मेंने बारहवी पास कर ली हे और आई.आई. टी. प्री और फाइनल में भी चयन हो गया हे .में मुम्बई जाने से पह्ले कोचिन्ग फेस्टिवल में कोटा आ रहा हुं.आपके साथ में मैं सरकिट हाउस गणेशजी,डकनिया स्टेशन की पुलिया,गैपेरनाथ और भंवरकुंज भी जाना चाहता हूँ.अंकल में तो चला ही गया था.लेकिन आपकी संगत,लालन पालन,देख रेख से में बच गया.मेने कोटा में जीवन समर मे ये सीखा कि हार के समय भी सकारातम्क सोच रखो.अंकल मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि आगे जीवन मे कभी कठिनाई आई तो मैं सकारात्मक सोच के साथ फाइट करूँगा .अंकल में आपको भुला नही पाऊन्गा.आपके बताए रुटीन पर ही चलूँगा.अगेन लव यू कोटा.लव यू कोटा.
नियत समय पर मुकुटबिहारी कोटा आ गया.सब जगह जाने के पश्चात डकनिया स्टेशन की पुलिया और गैपरनाथ ओर भंवरकुंज भी गया.वहाँ खूब तालियाँ बजा बजा कर हँसा.
मुझे प्रतीत हो रहा था मुकुट बिहारी अब वास्तव में साहसी और धीरज वान हो रहा था.
ट्रेन से मुंबई जाते समय कोटा स्टेशन पर ट्रेन में खिड़की से मुकुट बिहारी अंकल आई नेवर फोरगेट यू.
लव यू कोटा ,लव यू कोटा,लव यू कोटा कि हुंकार लगाता चला गया.
मुझे भी ठंडक पहूँची कि कल जो अन्न्त आकाश में लीन होने जा ही रहा था,आज मेरे कुछ प्रयासों से धरती पर अपने सपनो की उडान भरने जा रहा हे .
टा टा करते मेने भी कहा :दिस इज माई कोटा. दिस इज माई कोटा ,लवयूकोटा.लव यू कोटा.

 

 

 

विजयकांत मिश्रा

 

 

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