अंत करो अब महा सृष्टि का ,
छोडो बच्चे पैदा करना ,
ऐ माँ बहिनो तुम्हें कसम है ,
बंद करो मानव संरचना ।
------देकर जन्म पालतीं इनको ,
------क्षण-क्षण तुम सँवारती इनको ,
------पढा लिखा कर मनुज बनातीं ,
------रंगों सा निखारती इनको ,
इन पर ही हों इनके हमले ,
बोलो है यह कैसी छलना ।
------यह तो सचमुच महा प्रलय है ,
------पापी भी पा गया विजय है ,
------बच्चों की हत्या है यह, या ,
------सचमुच मानवता क्षय है ,
कैसे रोकोगी तुम आँसू ,
मासूमों का देख तडपना ।
-------मन से निश्छल सीधे सच्चे ,
-------स्कूलों में पढते बच्चे ,
-------गोलाबारी के शिकार हों ,
-------कैसे हृदय न टूटें कच्चे ,
भयाक्रंत होकर छोडेंगे ,
अब ये स्कूलों में पढना ।
-------अश्रु बहायेंगी माताएँ ,
-------याद करेंगी ये हत्याएँ ,
-------बाल - लहू से लिखी मिलेंगीं ,
-------बस्तों में इनकी गाथाएँ ,
साजिश के शिकार हों बच्चे ,
विश्व पटल पर पहली घटना ।
-------चीखें हाहाकार घिरा तम ,
-------कैसा हृदयविदारक मातम ,
-------जनने वाली जननी का ही ,
-------टूट रहा है दुनिया में दम ,
खोकर अपना लाल उसे अब ,
भली न लगती खुद की रचना ।
-------मारो इन दहशतगर्दों को ,
-------दैत्यरूप मानव मर्दों को ,
-------जाग उठो ऐ दुनियावालो ,
-------समझो बच्चों के दर्दों को ,
रात दिवस देखो अब केवल ,
इन्हें मिटाने का ही सपना ।
-------इन्हें मिटाना पुण्य कर्म है ,
-------इसमें किंचित नहीं शर्म है ,
-------हत्यारों की हत्या करना ,
-------हर मजहब का महाधर्म है ,
चुप रह कर बैठे तो होगा ,
बच्चों का अपराधी बनना ।
-------फैलायी इनने दरिन्दगी ,
-------कठिन हो गई यहाँ जिन्दगी ,
-------फेको इन्हें निकाल जहाँ से ,
-------कचरे जैसी समझ गंदगी ,
अश्रु पूर्ण श्रृद्धांजलि माँ की ,
ऐ इतिहास सजा कर रखना ।
---------------विजयलक्ष्मी विभा-----------
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