Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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Jab baba the

 

जब बाबा थे

रिश्तों का एक समन्दर था
जब बाबा थे
आंगन में सांझा चूल्हा था
जब बाबा थे
कहीं कोई दीवार न थी
जब बाबा थे
घर में नियमों का बंधन था
जब बाबा थे
मां के सर रहता आंचल था
जब बाबा थे
शर्म-औ-हया का पर्दा था
जब बाबा थे
बैठक में सजती चौपल थी
जब बाबा थे
गीत सुनाता हुक्का था
जब बाबा थे
भैया का स्वर भी नीचा था
जब बाबा थे
जीवन बड़ा ही सुन्दर था
जब बाबा थे।
... ...

विकेश निझावन

 

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