Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नए सूरज की तलाश

 

मैं हर रोज़
एक नए सूरज की
तलाश में निकलता हूं
क्योंकि मैं
जो भी सपना संजोता हूं
उसे मेरा आज का सूरज
उसी पल
निगल जाता है
और मेरा दूसरा सपना
प्रश्न-चिन्ह बन
मेरे सामने
आ खड़ा होता है।

सपने और सूरज का खेल
सदियों पुराना है
लेकिन इसका मुझे
डर भी नहीं है
क्योंकि न तो
कभी सूरज खत्म हुआ
न ही मेरे सपनों की पिटारी
कभी भर पायी
बल्कि जीवन
इसी खेल में
कब आया कब गया
पता ही नहीं चला!
... ...
विकेश निझावन

 

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