Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हर चाहत हो जाये पूरी ये जरुरी तो नहीं

 

कहते है लोग अक्सर मत हो तुम परेशान कभी
हर चीज को तुम हलके में लो सभी ...........
अगर हर चीज को हलके में ले पाता कोई
तो दुनिया में गम को ढूँढ पाता न कोई
सुख दुःख तो जीवन की कथा है
इसी में हम सबकी व्यथा है ....
खुशी कौन इस जहाँ में नहीं है चाहता ?
पर हर चाहत हो जाये पूरी ये जरुरी तो नहीं .....
चाहत तो होती है सभी की यही ....
हो जाये चाहत अपनी सदा के लिए
हो जाती है चाहत यूँ कभी कभी पूरी
पर हर चाहत हो जाये पूरी ये जरुरी तो नहीं .....
पर हर चाहत हो जाये पूरी ये जरुरी तो नहीं .....

 


--------- विनय कुमार शुक्ल

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