" खुद से दूर चला जाना चाहता हूँ
इस जिंदगी में कुछ नया कर दिखाना चाहता हूँ
पर वक्त को मुझपर शायद भरोसा न हुआ .....
लौटा कर लौटा कर लाता है उस जिंदगी में ......
जिससे निकलने की चाहत अब मुझमे हो चली ...........
चाहत है मेरी सिर्फ एक , देदो मुझे भी एक मौका अभी ...
न होगे तुम निराश यूँ मुझसे ......
न करूँगा तुम्हे निराश मैं कभी ....
बस एक मौके की चाहत हो चली ......
बस एक मौके की चाहत हो चली ...."
-------- विनय कुमार शुक्ल
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