Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

जिंदगी में कुछ नया कर दिखाना चाहता हूँ

 

" खुद से दूर चला जाना चाहता हूँ
इस जिंदगी में कुछ नया कर दिखाना चाहता हूँ


पर वक्त को मुझपर शायद भरोसा न हुआ .....
लौटा कर लौटा कर लाता है उस जिंदगी में ......


जिससे निकलने की चाहत अब मुझमे हो चली ...........
चाहत है मेरी सिर्फ एक , देदो मुझे भी एक मौका अभी ...


न होगे तुम निराश यूँ मुझसे ......
न करूँगा तुम्हे निराश मैं कभी ....


बस एक मौके की चाहत हो चली ......
बस एक मौके की चाहत हो चली ...."

 


-------- विनय कुमार शुक्ल

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ