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तम मिटाया
हृदय के भीतर
दीप जलाया
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रोशनी छाई
अंधेरों के शहर
दीवाली आई
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दीप माला सी
बच्चों की प्यारी हँसी
फैली रोशनी
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राम राम सा
कह गले लगाए
द्वेष मिटाए
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मिष्ठान भोग
देवी लक्ष्मी को लगा
प्रसाद पाया
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घना तमस
अँधेरी राह पर
दीप प्रखर
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जुगनू जगे
बिना चिराग़ के भी
अँधेरा हटे
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रोशनी फैली
रंगीन फुलझड़ी
जैसे तितली
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गले मिलना
सद्भावना समान
कली खिलना
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समानता हो
माँ लक्ष्मी कृपा करो
गरीबी हरो
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पैसो से पैसा
विषमता की खाई
रिवाज कैसा
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सभी घरों में
खुशी के दीप जले
रोशनी पले
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बच्चों की ख़ुशी
बुजुर्गों का आशीष
नवाया शीश
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कोई त्योहार
सार्थक हो मनाना
जो लाए प्यार
विनोद कुमार दवे
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