Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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• दीपावली

 

 


तम मिटाया
हृदय के भीतर
दीप जलाया

रोशनी छाई
अंधेरों के शहर
दीवाली आई

दीप माला सी
बच्चों की प्यारी हँसी
फैली रोशनी

राम राम सा
कह गले लगाए
द्वेष मिटाए

मिष्ठान भोग
देवी लक्ष्मी को लगा
प्रसाद पाया


घना तमस
अँधेरी राह पर
दीप प्रखर

जुगनू जगे
बिना चिराग़ के भी
अँधेरा हटे

रोशनी फैली
रंगीन फुलझड़ी
जैसे तितली

गले मिलना
सद्भावना समान
कली खिलना

समानता हो
माँ लक्ष्मी कृपा करो
गरीबी हरो

पैसो से पैसा
विषमता की खाई
रिवाज कैसा

सभी घरों में
खुशी के दीप जले
रोशनी पले

बच्चों की ख़ुशी
बुजुर्गों का आशीष
नवाया शीश

कोई त्योहार
सार्थक हो मनाना
जो लाए प्यार

 

 

 

विनोद कुमार दवे

 

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