Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रात का रोते हुए गुजरना याद आता है

 

1.
रात का रोते हुए गुजरना याद आता है
दिन का सोते हुए गुजरना याद आता है।
हुस्न की गलियों से गुजरे है बहुत बार
कू-ए-यार से होते हुए गुजरना याद आता है।।
2.
तुम मुझे मुसकुराता देख दुखी मत हो
मैंने कुछ नहीं पाया तुम्हें खोने के बाद।
इक तेरा हुआ था, तेरा होकर रह गया
किसी का न हो पाया, तेरा होने के बाद।
3.
तुम जो इस तरह ख़ामोशी से चली गई
मेरी ज़िंदगी को कोई संगीत नहीं सुहाता।
कौन समझाए मेरे मासूम दिल को
जो गया, वो गया, कभी लौट के नहीं आता।।
4.
मेरा इश्क़ उसे उम्र की नादानी लगता है
आँखों से बहता दर्द उसे पानी लगता है।
उसने अपना नीला दुपट्टा क्या लहराया
मुझे हर रंग अब आसमानी लगता है।।

5.
खोने का दुःख मुझे है, तुम्हें तेरा जहाँ मिल गया
मेरा नसीब मिट्टी में जाने कहाँ-कहाँ मिल गया।।
मुझे मिलना था, तो दर्द और धोखा ही मिलना था
मैं जहां-जहां गया, दर्द वहां-वहां मिल गया।।

6.
रक़ीब की बाँहों में बेपरदा खिलखिलाती थी
अब ये झूठे अश्कों का हिजाब मत पहनो।
मैं जानता हूँ तुम्हें, अच्छी तरह जानता हूं
मेरे सामने ये उदासी का नकाब मत पहनो।।

 

 

 

विनोद कुमार दवे

 

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