छनन छनन छन छन छा रे
आजा रे मेरे मसूरी में आ रे
पहाड़ों की रानी तुझे पुकारे
आजा रे मेरे मसूरी में आ रे
मंसूरी पहाड़ों की रानी है
जन्नत के रूप में जानी है
यहाँ घुमड़ घुमड़ मेघा गरजे
रिमझिम रिमझिम कर बरसे
सर सर करती चली हवा रे
आजा रे मेरे मंसूरी में आ रे
यहाँ झर झर झरने बहते है
एक प्रेम की धुन सी गाते है
यहाँ हरे भरे वन मुस्काए
पंछी भि प्रेम की धुन गाए
कोयल की कूँ तुझे पुकारे
आजा रे मेरे मंसूरी में आ रे
जय भारत **** जय उत्तराखंड **** जय हिंद
विनोद कुमार खबाऊ
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