Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जमाने वालों मुझे जुगनू ना समझना

 

जमाने वालों मुझे जुगनू ना समझना मै गर्दिश में पड़ा सितारा हूँ
किस्मत ने जिसको ठुकरा दिया वो बदकिस्मत वे सहरा हूँ

 

उस दूर गगन में कभी मै भी चम चम चमक़ता था
चाँद कि उस चकचोंद में फिरता ओर टीमटीमाता था
आज इस उझड़े चमन का एक बदसूरत नजारा हूँ
किस्मत ने जिसको ठुकरा दिया वो बदकिस्मत वे सहरा हूँ

 

खेलता था जन्नत कि गलियों में दर्द और गम से अनजान था
उन खूबसूरत बादियो के बीच में चाँद और तारों का महेमन था
आज इस शहर के खामोश गलियों का भटकता हुवा बंजारा हूँ
किस्मत ने जिसको ठुकरा दिया वो बदकिस्मत वे सहरा हूँ

 

किस्मत के बादलों ने मुझे एक चमकती तसवीर दिखाई
चाँद पर उतरने कि ख्वाईश में मैने वहीं से छलांग लगाई
आज इस ऊबड़ खाबड़ा जिंदेगी के ठोकरों का मारा हूँ
किस्मत ने जिसको ठुकरा दिया वो बदकिस्मत वे सहरा हूँ

 

बेताब आशा और निराशा में मुझे अभि भी इंतज़ार रहता है
एक दिन आयेगा कि चमकुंगा उसी गगन में मेरा दिल कहता है
इसी आशा और निराशा के बीच मै कई अरसे गुजरा हूँ
किस्मत ने जिसको ठुकरा दिया वो बदकिस्मत वे सहरा हूँ

 

विनोद कुमार खबाऊ

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