रफ्तार से चलने वालों जरा ठहरो जरा ठहरो !
सोचो तनिक मतवालों जरा ठहरो जरा ठहरो !!
चाह थी जिस भारत कि उन क्रंतिवीरो के मन में,
क्या तुम वही भारत बना पाए हो ?
तसवीर थी जिस भारत की उन लोगो के जहन में,
क्या तुम वही भारत बना पाए हो ?
ये सवाल तो ख़ुद से कर लो जरा ठहरो जरा ठहरो!
रफ्तार से चलने वालों जरा ठहरो जरा ठहरो !!
जिस राह पे चलते चलते मर मिटे वो हिम्मत वाले,
क्या तुम एक पग भी चल पाए हो?
त्याग दिए घर अपने बनने को वतन के रखवाले,
क्या तुम एक ख्वाब भी त्याग पाए हो?
ये जबाब तो ख़ुद में टटोलो जरा ठहरो जरा ठहरो!
रफ्तार से चलने वालों जरा ठहरो जरा ठहरो !!
मोह माया में जीने वालों माया से ख़ुद को लपेटा तो है,
क्या उन आने वालों पर कभी सोचा है?
सपनों को सीने वालों सपनों को सजाये बैठा तो है,
क्या उन आने वालों पर कभी सोचा है?
कभी ख़ुद से विमर्श तो कर लो जरा ठहरो जरा ठहरो!
रफ्तार से चलने वालों जरा ठहरो जरा ठहरो !!
रफ्तार से चलने वालों जरा ठहरो जरा ठहरो !
सोचो तनिक मतवालों जरा ठहरो जरा ठहरो !!
विनोद कुमार खबाऊ
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