आज के भागमभाग तथा आपाधापी भरे जीवन में 'आध्यात्म' एक ऐसा शब्द है जो लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है| लोगों के पास भौतिक सुबिधायें है मगर शान्ति का दूर-दूर तक पता नहीं है|शान्ति की तलाश में लोग मन्दिरों,मस्जिदों तथा गुरुद्वारों के चक्कर लगातें हैं मगर शान्ति वहाँ भी नशीब नहीं होती|इस अशान्ति का कारण और निवारण केवल गीता के पास है जो कर्मकाण्ड से हटाकर सहज आध्यात्मिक बनाती है|गीता ने आध्यात्म की प्राप्ति के अनेक मार्ग बतायें जैसे-भक्ति,कर्म,ग्यान....आदि मगर साथ ही साथ ये भी चेतावनी देती है कि अपनें स्वभाव के अनुसार इन मार्गों में से कोई एक ही मार्ग अपनाना चाहिए|सभी मार्गों का किसी एक ही साधक द्वारा एक ही समय में पालन करना सम्भव नहीं हैं|मीरा,विवेकानन्द तथा कबीर आदि मनीषियों का जीवन-दर्शन क्रमशः भक्ति,कर्म तथा ग्यान को परिभाषित करता है दुसरी चेतावनी जो गीता देती है वह यह है कि जब तक साधक की दिनचर्या ब्यवस्थित नहीं होगी उसके जीवन में योग सिद्ध नहीं होगा|वर्तमान साधक उपरोक्त दोनों दोषों से ग्रसित है|न तो उसे ये पता है कि वो किस मार्ग पर चल रहा है और न तो संतुलित दिनचर्या ही है|
~विनोद यादव 'निर्भय'
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