फागुन में बहने लगी,मादक मधुर बयार
पुरवायी करने लगी,रतियों का सिंगार
रतियों का सिंगार,अदा सिर चढ के बोले
नैन जाम छलकाये,रस नस-नस में धोले
कह 'विनोद' अवगुन में भी दिखलाये सौ गुन
ऐसा छल करता है भोले मन से फागुन
>----->विनोद कुमार यादव
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