गर्दिश में सितारों को आज़माया नही जाता|
तुरफत पे समाँ इश्क के जलाया नहीं जाता|
दामन लहूँ में डूबकर ना लाल हो जाये,
नश्तर की तेज धार को सहलाया नहीं जाता||
बेशक बुझा दो जिन्दगी की लौ अंधेरों में,
जो आग है सीनें में बुझाया नहीं जाता|
बच के रहो दुनियाँ वालो ना खाक हो जाओ,
तिनकों से दहन काबू में लाया नहीं जाता||
दिल सोचता है तोड़ दूँ खामोंशियों के पल,
पर क्या करें जो राज है बताया नहीं जाता|
क्या-क्या मैं कर चूका हूँ तुम्हें याद है "विनोद"
हर बात पे यूँ शर्त लगाया नहीं जाता||
*दहन(आग)
~ विनोद यादव "निर्भय"
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