Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जान-ए-मन

 

बेख़ुदी में आजकल बहक रहीं हूँ मै|
दिलवर तुम्हारी आब से चमक रही हूँ मैं||

 

 

रखा है तुने खुद को ऊसूलों में बाधकर,
शोले की तरह जान-ए-मन दहक रहीं हूँ मैं|

 

 

हँसी लगे नजारे , प्यारा लगे ये जीवन,
तेरे हर ख़्यालात पे चहक रही हूँ मै||

 

 

देखा यूँ तुने 'निर्भय' इज्ज़त की नज़र से,
गुलशन की तरह बेसबब महक रहीं हूँ मैं|

 

 

 

----------विनोद यादव "निर्भय"

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