तेरी रुशवाई ने हमदम किया नाशाद मुझको|
किया बेकद्र पर तुझसे नहीं कुछ दाद मुझको||
जबकि याद करके आज मेरा दिल परेशाँ है,
तू तो तुरफत पे ना आयी,ना किया याद मुझको||
शोर करती वही पायल वही कंगन की खनखन,
वही गुज़रा जमाना अब तलक है याद मुझको|
वो तेरा बाग में आकर मेरे सीनें से लग जाना,
और वो शर्म से नज़रें झूकाना याद मुझको||
तेरा वादा था मिलकर प्यार की कश्ती चलायेंगे,
भूली सब बात तुम जबकि अभी तक याद मुझको|
ज़मानें से भी लड़नें को था मैं तैयार "निर्भय",
छोड़ दामन तुने ज़ालिम किया बर्बाद मुझको||
सिसक कर रो ना देना जिक्र में जब नाम आयें,
फिक्र मत कर कब्र नें कर दिया आबाद मुझको||
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*नाशाद(अप्रसन्न),बेकद्र(निर्मल्य),दाद(दुहाई)
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~~~~~विनोद यादव "निर्भय"
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