Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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....Kiss Of Love......

 

पश्चिमी कायदों को इख्तियार करतें हो|
नासमझ हो अरे ! सड़कों पे प्यार करते हो||

सभ्यता,संस्कृति और पहचान को मिटाकर,
किस इल्म पे कहोगे कल तुम नाज़ करते हो|

लैला-मज़नू सोचकर सर्मा गये होते यहाँ,
नादानीयाँ आजकल जो बार-बार करते हो||

गैर-वाजिब जल्वों की इक्तिजा की खातिर,
ऐहतमाम की अहमियत को दरकिनार करते हो|

'विनोद' बुजुर्गों की अहमियत को भूलकर तुम,
खुदगर्ज हो,रिश्तों को तार-तार करते हो||

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*इल्म-ग्यान / जल्वा-प्रदर्शन / इक़तिजा-माँग / ऐहतमाम-व्यवस्था या संस्कृति
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~ विनोद यादव निर्भय

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