Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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.कुत्ता ! एक लावारिस दोस्त....

 

बेसबब-बेकरार बनकर बैठा था|
घण्टों से तन्हा बीमार बनकर बैठा था||

 

 

बारिस बेजोड़ थी उस रात फिर भी,
सूनी सड़क पर काँपती दीवार बनकर बैठा था|

 

 

आहट मेरी पाकर चौक गया था पलभर,
गुमसुम,लावारिस,लाचार बनकर बैठा था||

 

 

'भीगो मत' कहा मैने धीरे से ज्योंहीं,
पास आया ज्यूँ इन्तजार करकर बैठा था|

 

 

~ विनोद यादव निर्भय

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