एक झलक:-स्व. सत्यनारायण मिश्र 'सत्तन'(सन् 1954-दि.19/07/2015) भोजपुरी
साहित्य के सुप्रसिद्ध गीतकार थे|आपका जन्मभूमि देवरियाँ(यू.पी.) तथा
कर्मभूमि गोरखपुर(यू.पी.) था|'मड़ईया में मोर मन भींजि जाला' आपकी यादगार
कृति है|अन्तिम क्षणों तक 'भोजपुरी संगम साहित्यिक संस्था' के आप संचालक
पद पर आसीन रहे|आपकी असामयिक देहान्त
पर श्रद्धाँजली स्वरुप एक रचना.......
*~...सत्तन दा की याद में...~*
थे निष्कलंक,ज्यूँ तीर्थराज,
शब्दों के गज़ब खिलाड़ी थे|
'संगम' साहित्य का मधुबन है,
इस मधुबन के वो माली थे||
भोजपुरी उनकी पूँजी थी,
भोजपुरी उनका पूजा था|
साहित्य की प्राण-प्रतिष्ठा में,
जो शंखनाद बन गुँजा था||
पर हाय ! ये कैसी करुण कथा|
झकझोर गयी मग़रुर ब्यथा||
बे'कल 'मड़ई' दर-दर ढुँढे,
'सत्तन' का फ़िर भी नहीं पता|
»--»विनोद गोरखपुरी 'निर्भय'
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