सियासत औ' सियासी रंग को
ग़र तुम समझ लेते
न तब इतना उलझते तुम
कि जितना तुम उलझ लेते
मैं उनको नेकनीयत कह
नहीं सकता, न मानूंगा
जो 'जनता' को कभी हिन्दू
कभी मुस्लिम समझ लेते
-विनोद 'निर्भय'
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सियासत औ' सियासी रंग को
ग़र तुम समझ लेते
न तब इतना उलझते तुम
कि जितना तुम उलझ लेते
मैं उनको नेकनीयत कह
नहीं सकता, न मानूंगा
जो 'जनता' को कभी हिन्दू
कभी मुस्लिम समझ लेते
-विनोद 'निर्भय'
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