Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वर्तमान परिवेश/देशद्रोह पर

 

 ,संसद चाटे धूल
उपवन को ही रौंदता,इक अदना सा शूल

 

कैसे-कैसे लोग हैं,दुनियाँ में भगवान
बेशर्मीं से कर रहे,देशद्रोह का गान

 

मानवता लाचार है,दवा चले ना जोग
सज्जन को गाली मिले,दुर्जन को मनभोग

 

मन को काबू में रखे,जिह्वा पर हो मौन
सत्कर्मों में लिप्त हो,ऐसा अब है कौन

 

उनको सम्मुख देख के,क्यूँ मन फिसला जाय
मदहोशी छानें लगे,रोम-रोम हरसाय

 

 

-विनोद कुमार यादव

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